डर लगता है
तुम चले ना जाना
हवाएं थम सी जाती हैं
तूफानों के बीच में
कही तुम बह ना जाना, डर लगता है ।
मौसम बदल गया है
बहारें अब आती ही नहीं
अरसों से पतझड़ ही है यहां
कहीं तुम टूट न जाना, डर लगता है ।
मैं तो बस मिट्टी हूं
तुम ही दरख़्त की जड़ हो
छोड़ के चले ना जाना
डर लगता है ।
दीप वेद